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Block BGS, Railway Colony, Tis Hazari, Delhi, دهلی 110054، هند

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نظرات — 2

Furkan Ali
at 2022 Aug 13
Furkan Ali
at 2022 Aug 13
Acha place hai but har koi jana nhi cahata or khuda kisi ko bheje bhi na yha pr . JO LOG PRESHAN HAIN WAHA ALLAH UNNKI MADADA KRE ameen
Arvinder singh
at 2021 Dec 12
Arvinder singh
at 2021 Dec 12
सिख साहित्य के अनुसार, तीस हजारी के मैदान में तीस हजार घोड़ो और घुड़सवार सेना की एक चौकी थी। अठारहवीं सदी में मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के राज में एक सिख जत्थे की दिल्ली के लालकिले की घेरेबंदी करने और उस पर हमलों की तमाम कोषिषों को बहादुरी से विफल करते हुए रक्षा करने की एक कहानी लोकप्रिय है। सन् 1780 में तीस हजारी के मैदान, जहां कभी उगे पेड़ों को काट दिया गया, में करीब 30,000 घोड़ों वाली एक विशाल घुड़सवार सेना ने डेरा डाला था। सिख इतिहास में एक निपुण सेनापति और राजधानी में कई गुरुद्वारों की स्थापना करने वाले सच्चे सिख सरदार बघेल सिंह के नेतृत्व में तीस हजारी मैदान का पड़ाव एक मील का पत्थर माना जाना जाता है।



अमृतसर के चाबल गांव में पैदा होकर सतलुज नदी के आसपास के क्षेत्र तक के सिख सरदार बनने वाले सरदार बघेल सिंह की सिख गुरुओं में अपार आस्था थी। एक सैन्य कमांडर के रूप में उनकी क्षमता, अनुशासन, निश्ठुरता और करुणा का दुर्लभ संयोग सिख इतिहास में बखूबी दर्ज है, जिससे तीस हजारी की ऐतिहासिकता प्रमाणिक होती है।

पंजाब में १२ मिसले थी और बघेल सिंह किरोडिया मिसल के सरदार थे। उन्होंने सन् 1783 में मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के समय में दिल्ली पर हमला करके दिल्ली को लूटते हुए लाल किले पर चढ़ गए थे। उनकी तीस हजार फौज ने जहाँ डेरा लगाया, उसी जगह को आज तीस हजारी कहते हैं। इसी बघेल सिंह ने अफगानी लुटेरे अहमद शाह अब्दाली को पंजाब में घायल कर दिया था और उसके चुंगल से हजारों बंदी बनाई गई महिलाओं को छुड़वाकर उसके कारवा को लूटा था।



यह बघेल सिंह की वीरता ही थी, जिसके आगे झुकते हुए मुगल शहंशाह ने इस वीर योद्धा तीन लाख का नजराना देना पड़ा। इतना ही नहीं, उन्होंने दिल्ली में दो साल रहकर गुरूद्वारे बनवाए। आज दिल्ली में जितने भी प्राचीन गुरुद्वारे हैं सभी उन्हीं के बनवाए हुए हैं। इस तरह, बघेल सिंह ने न केवल शाह आलम से दिल्ली में सिखों के ऐतिहासिक गुरूद्वारों के निर्माण की आज्ञा का फरमान हासिल किया बल्कि राजधानी में गुरूद्वारों के निर्माण के लिए सिख सेना के चार साल रहने और उसके खर्च को भी मुगलों से वसूला। उन्होंने दिल्ली में सात ऐतिहासिक सिख धार्मिक स्थलों का निर्माण किया, जिनमें माता सुंदरी गुरुद्वारा, बंगला साहिब, बाला साहिब, रकाबगंज, शीशगंज, मोती बाग, मजनू का टीला और दमदमा साहिब शामिल है।

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